उत्तराखण्ड

प्रदेश में पर्यटन गतिविधियां बढ़ने से बढ़ रहे हैं बाघ के हमले

देहरादून: अब उत्तराखंड के पहाडों पर बाघ अपना स्थायी ठिकाना बना रहे हैं। जबकि में कुछ सालों पहले पहाड़ों पर बाघ दिखना चौंकाने वाली घटना थी | पांच सालों से पहाड़ों पर बाघ के बढ़ते हमले भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं। वन विभाग के गश्ती कर्मियों को भी अब पहाड़ के जंगलों में अक्सर बाघ की आहट मिलती रही हैं। वन्य जीव विशेषज्ञ और वन विभाग का मानना है कि नेपाल सीमा से लगे सीम और चूका कॉरिडोर में बीते सालों में पर्यटन गतिविधियां बढ़ी हैं। चम्पावत के बडोली, ढकना, नघान, बूढ़ाखेत आदि क्षेत्रों में बाघों की आवाजाही हो रही है। बीती छह दिसंबर को ढकना बडोला के जंगल में बाघ ने एक महिला की जान ले ली थी। इस जंगल के ट्रैप कैमरे में बाघ कई बार कैद हो चुका है।  पांच साल में चार महिलाएं बाघ का शिकार हुई, चम्पावत जिले में बीते पांच साल में चार महिलाओं को निवाला बनाया है। टनकपुर-जौलजीबी सड़क निर्माण ने भी बाघों को पहाड़ों का रुख करने को मजबूर किया है। पिछले 5 वर्षों के मुताबिक वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 26 फरवरी 2017 को बोरागोठ, टनकपुर निवासी सोना देवी को बाघ ने मौत के घाट उतारा। इसके बाद 25 अप्रैल 2017 को आमबाग, टनकपुर निवासी राधा देवी बाघ का शिकार बनी। छह दिसंबर 2021 को ढकना बडोला की मीना को बाघ ने निवाला बनाया। 31 जनवरी को नघान की चंद्रा देवी को मार डाला। चम्पावत के रेंजर हेम चंद्र गहतोड़ी के अनुसार चम्पावत के पहाड़ी हिस्से में बाघ अधिक संख्या में दिखाई दे रहे हैं। नेपाल सीमा से लगे सीम और चूका के आसपास तराई का हिस्सा है। यहां टनकपुर-जौलजीबी सड़क का निर्माण चल रहा है। मशीनों के शोरगुल, वाहनों की आवाजाही और मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से हिरण, सांभर, चीतल आदि पलायन कर रहे हैं। ऐसे में भोजन की तलाश में बाघ पहाड़ का रुख कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button