उत्तराखण्ड

क्या उत्तराखंड भाजपा प्रदेश संगठन में बड़े फेरबदल की संभावना हो सकती है ?

देहरादून: आखिर जिस बात के संकेत थे वही सब इन दिनों उत्तराखंड भाजपा में नजर आ रहा है। संगठन में मचे घमासान के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिल्ली तलब किया गया है तो चर्चाएं उठने लगी है कि क्या संगठन में कोई बड़ा बदलाव करने की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है? असल में यह सब सवाल यूं ही नहीं उठे हैं, बल्कि इसके पीछे वह पूरा प्रकरण है जो मतगणना के बाद भाजपा प्रत्याशियों द्वारा अपने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को लेकर उठाया गया था। सीधे तौर पर कहे तो चर्चा है कि उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष को लेकर दिल्ली में मंत्रणा चल रही है और कोई बड़ा निर्णय पार्टी के द्वारा लिया जा सकता है।उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अबकी बार 604 का नारा प्रदेश को दिया था लेकिन पार्टी के अंदर किस प्रकार का घमासान चल रहा था या तब बाहर आया जब मतगणना संपन्न हो गई। मतगणना के बाद भाजपा के कुछ प्रत्याशियों ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर ही उन्हें हराने के लिए फील्डिंग सेट करने के आरोप लगा दिए तो वही भितरघात शब्द भाजपा की किरकिरी बन गया। उत्तराखंड भाजपा में उठे इस बवाल के बाद दिल्ली हाईकमान द्वारा मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष दोनों को ही दिल्ली बुलाया गया और स्थितियों पर नियंत्रण करने के लिए कहा गयावहीं दूसरी ओर इसके बावजूद भी हालात नहीं सुधरे और प्रदेश के अंदर हवा में उड़ने लगी कि कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में है तो केंद्रीय भाजपा संगठन के भी कान खड़े हो गए। अजीब स्थिति थी कि एक तरफ तो 60 सीटों से अधिक जीत का दावा किया जा रहा था तो वहीं दूसरी तरफ पूरे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने की अटकले लगाई जा रही थे। इस सब के बीच अब तक हाईकमान को भी यह समझ में अब तक आ चुका था कि अंदरखाने उत्तराखंड प्रदेश भाजपा की हालत अच्छी नहीं है और कहीं ना कहीं आरोप लगे हैं तो इन पर नियंत्रण करना भी जरूरी है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिल्ली बुलाने के पीछे फिलहाल सबसे बड़ा कारण उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष का मुद्दा ही माना जा रहा है। वर्ष 2023 में भाजपा प्रदेश संगठन के चुनाव होने हैं जिसमें नए प्रदेशाध्यक्ष का भी फैसला लिया जाएगा लेकिन यदि इससे पूर्व भी इस संबंध में कोई बड़ा निर्णय केंद्र हाईकमान से आता है तो निश्चित तौर पर इससे भाजपा की छवि पर भी असर पड़ेगा।यदि भारतीय जनता पार्टी इन चुनावों में सरकार बनाने से चूकती है तो निश्चित तौर पर इसकी गाज प्रदेश संगठन पर भितरघात जैसे आरोपों के कारण ही गिरेगी। फिर आज तो नजर 10 मार्च पर है जब परिणाम सामने आएंगे लेकिन यह भी निश्चित माना जा रहा है कि उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर उठ रहा विवाद एवं असंतोष पार्टी हाईकमान की प्राथमिकताओं में है और इसे लेकर कोई विस्फोटक फैसला जल्दी सामने आ सकता है।

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