उत्तराखण्डधर्म-संस्कृति

बौद्ध मठ से श्री बदरीनाथ धाम का कोई संबंध नहींः आचार्य ममगाई

देहरादून: ज्योर्तिमठ व्यासपीठ विभूषित व चारधाम विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सुप्रसिद्ध कथाव्यास आचार्य शिवप्रसाद ममगाई ने श्री बदरीनाथ धाम पर स्वामी प्रसाद मौर्य के दिये गये बयान का खंडन किया हैI आचार्य ममगाई ने बदरीनाथ धाम को बौद्ध मठ बताने को सनातन धर्म के प्रति षड्यंत्र बताया, बोले बौद्ध मठों से बदरीनाथ धाम का कोई संबंध नहीं हैI आचार्य शिवप्रशाद ममगाई ने अपने एक ब्यान में कहा है कि बदरीनाथ धाम सतयुग का धाम है वेद, पुराणों, उपनिषदों में श्री बदरीनाथ धाम की महिमा वर्णित है। श्रीमद भागवत पुराण के दशवें स्क्ंद में वर्णन आता है कि श्री बदरीनाथ धाम नर , नारायण जी की तपस्थली है जहां आज भी भगवान बदरीविशाल लोककल्याण हेतु तपस्यारत है। हरिद्वार को भगवान नारायण का द्वार माना जाता है श्री विष्णु श्री हरि श्री बदरीनाथ धाम में युगों से विराजमान हैं। आचार्य ने कहा कि बदरीनाथ धाम को बौद्ध मठ बताना सनातन धर्म के प्रति षड्यंत्र है। बदरीनाथ धाम का बौद्ध मठों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों को इस तरह की बयानबाजी से बदनाम किया जा रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए तथा सपा को उन्हे पार्टी से निष्कासित कर देना चाहिए। इस मामले में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बृहस्पतिवार को लखनऊ में एक विवादित बयान दिया कि श्री बदरीनाथ धाम पहले एक बौद्ध मठ था। ऐतिहासिक प्रमाण है कि बौद्ध मठ का उदय सनातन संस्कृति सनातन हिन्दू धर्म के कई युगों बाद हुआ। बदरीनाथ धाम युगों से विघमान रहा आदि गुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया। मंदिर की स्थापना कब हुई इसका वर्णन वेद पुराणों में संग्रहित है। सनातन संस्कृति भगवान विष्णु के दशावतार में बौद्ध अवतार को भी भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है। अतः स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का कोई तार्किक आधार नहीं है। उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी पर हो रही एएसआई की सर्वे के संबंध में बोलते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह विवादित बयान दिया जिसका प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित सनातन धर्मावंलबी तथा विद्वतजन खंडन कर चुके है।

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